पूजा करना एवं मंत्रों का उच्चारण करना पूजा की विधि में शामिल है लेकिन कई बार पूजा करते समय जाने-अंजाने हमसे गलतियां या भूलचूक हो जाती हैं। इन गलतियों को सुधारने से ही हमारे द्वारा की गई पूजा सफल होती है। आपको बता दें कि पूजा से जड़ी सभी क्रियाओं के लिए मंत्र बताए गए हैं। प्रार्थना, स्नान, ध्यान, भोग मंत्रों के अलावा क्षमायाचना मंत्र भी होता है जिसके साथ पूजा को संपन्न किया जाना चाहिए।
आपको बता दें कि पूजा में क्षमा मांगने का अर्थ है दैनिक जीवन में हमसे जब भी कोई गलती हो जाए तो उसकी तुरंत क्षमा
‘आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु।’
इस मंत्र का अर्थ है हे ईश्वर, न मैं आपको बुलाना और न विदा करना चाहता हूं। मैं सही ठंग से पूजा करना भी नहीं जानता। कृपा मुझे क्षमा करें। मुझे न तो क्रिया याद है और न मंत्र। मैं भक्ति करना भी नहीं जानता। मैं पूरे मन से पूजा कर रहा हूं कृपया मेरी भूलों को क्षमा कर इस पूजा को पूर्णता प्रदान करें। मेरा अहंकार दूर करें और अपनी शरण में लें।