शिवरात्रि का मुख्य पर्व साल में दो बार व्यापक रूप से मनाया जाता है। एक फाल्गुन के महीने में तो दूसरा श्रावण मास में। फाल्गुन के महीने की महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से शंकर भगवान की पूजा करते हैं। इस पर्व की तिथि को लेकर लोगों में थोड़ी दुविधा है लेकिन आपको बता दें कि इस वर्ष यह 21 फरवरी को है।
21 फरवरी को यह शिवरात्रि शाम को 5 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर शनिवार 22 फरवरी को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। रात्रि की पूजा
21 फरवरी को त्रयोदशी के दिन जो लोग पूजन नहीं कर पा रहे हैं तो वो 22 फरवरी को भी चतुर्दशी के समय तक शिव का पूजन कर सकते हैं। मंदिरों में 22 फरवरी को भी धूमधाम से शिव का पूजन किया जाएगा। शिवरात्रि का व्रत रखने वाले अगले दिन 22 फरवरी को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक पूजन कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर यदि आप पूरी श्रृद्धा और विधि-विधान से पूजा करेंगे तो आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। इस दिन भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं। केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं। पूरी रात्रि दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं, तीन बेलपत्र, भांग धतूरे, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र एवं दक्षिणा चढ़ाएं। इसके अलावा केसर वाली खीर भोग में लगाएं। पूजा के दौरान ‘ऊं नमो भगवते रूद्राय, ऊं नम: शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नम: मंत्र का जाप करें।’