स्वास्तिक को भारतीय संस्कृति में बहुत कल्याणकारी और मंगलकारी माना गया है। आपको बता दें कि सु का अर्थ है शुभ और अस्तिका का अर्थ है कल्याण हो। स्वास्तिक हम सभी अपने घरों में बनाते हैं लेकिन इसका अर्थ और कार्य बहुत कम लोगों को पता होगा। यह सिर्फ शुभ ही नहीं होता बल्कि घर की नकारात्मक ऊर्जा से बचाकर हमें सफलता प्रदान करता है।
- घर के दरवाजे और बाहर की दीवारों पर स्वास्तिक का चिन्न लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ कार्यों के योग बनते हैं। घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर अष्ट धातु और उपर मध्य
- घर में शांति बनाए रखने के लिए आंगन के बीचो-बीच मांडने के रूप स्वास्तिक बनाया जाता है। इसे बनाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है। पितृ पक्ष में बालिकाएं संजा बनाते समय गोबर से स्वास्तिक बनाती है। इससे घर में शुभता, शांति और समृद्धि आती है।
- ईशान या उत्तर दिशा की दीवार पर पीले रंग का स्वास्तिक बनाने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। वहीं कोई मांगलिक कार्य करने जा रहे हैं तो लाल रंग का स्वास्तिक बनाएं। इसके लिए केसर, सिंदूर, रोली और कुम्कुम का प्रयोग करें। धार्मिक कार्यों में रोली, हल्दी और सिंदूर से बना स्वास्तिक आत्मसंतुष्टी देता है।
- स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर जिस भी देवता की मूर्ति रखी जाती है वह तुरंत प्रसन्न होता है। प्रत्येक त्योहार जैसे नवरात्रि में कलश स्थापना, दीपावली पर लक्ष्मी पूजा जैसे अवसरों पर स्वास्तिक बनाकर ही देवी की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है। इसके अलावा मनोकामना सिद्ध करने के लिए मंदिर में गोबर या कंकू से उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है फिर जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है उसे वहीं जाकर सीधा स्वास्तिक बनाएं।
- आपके घर और दुकान में बिक्री नहीं हो रही हो तो 7गुरुवार को ईशान कोण को गंगाजल से धोकर वहां सूखी हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और उसकी पंचोपचार पूजा करें। इसके बाद वहां आधा तोला गुड़ का भोग लगाएं। वहीं रात में नींद नहीं आती या बुरे सपनें आते हैं तो सोने से पूर्व माथे पर तर्जनी से स्वास्तिक बनाकर सो जाएं। इससे अच्छी नींद आएगी।