22 अगस्त से पूरे देश में भगवान गणेश स्थापित किए जा चुके हैं। आपको बता दें कि वर्ष में चौबीस चतुर्दशी होती है, जिसमें अनंत, नरक और बैकुण्ठ यह तीन चतुर्दर्शियां मनाई जाती हैं। डोल ग्यारस के बाद अनंत चतुर्दशी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आती है। 1सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ ही भगवान अनंत की पूजा की जाएगी। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत यानि विष्णुजी की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि भगवान विष्णु के
इस दिन व्रत रखने के साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है तो सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं। आपको बता दें कि यह व्रत धन-धान्य, सुख-संमृद्धि और संतान आदि की कामना के लिए किया जाता है। पूजा को विधिपूर्वक किया जाए तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है। इस दिन व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर कलश स्थापित किया जाता है। कलश पर कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करने के पश्चात एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें। इस सूत्र में 14 गांठें लगी होनी चाहिए। भोग बनाकर भगवान विष्णु की तस्वीर के समक्ष प्रसाद और अनंत सूत्र को रखकर पूजा शुरू करें। पूजा के बाद सूत्र को पुरुष दांये और स्त्रियां अपनी बांये बाजू में बांध लें। व्रत और पूजा का लाभ दोगुना प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करें। ‘अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।’
इस बार घर में ही करें विसर्जन
जानकारी के लिए बता दें कि अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का समापन किया जाएगा। 1सितंबर को विसर्जन से पहले भगवान गणेश का आराधना करें और उनका पसंदीदा भोग लगाएं। पूजा के बाद हवन करें और गाजे-बाजे के साथ मूर्ति का विर्सजन करें। कोविड-19 के कारण इनदिनों किसी नदी या तालाब के तट पर जाने के बजाय घर में ही बाल्टी या टब में मूर्ति का विसर्जन करें।
अनंत चतुर्दशी व्रत और पूजा विधि
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थान को स्वच्छ करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर भगवान का स्मरण करना चाहिए। भगवान विष्णु की प्रिय वस्तुओं का अर्पण करना चाहिए। पूजा में पीले पुष्प और मिष्ठान का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। अनंत सूत्र को भगवान विष्णु के चरणों में रखने के बाद धारण करें। पुरुष अनंत सूत्र को दाएं और महिलाएं बाएं हाथ पर बांधे।
पूजा मुहूर्त
एक सितंबर की सुबह 5 बजकर 59 मिनट से लेकर 9 बजकर 41 मिनट तक अनंत चतुर्दशी की पूजा का मुहूर्त है।