पूरी दुनिया क्रिसमस डे (Christmas 2020) की तैयारियों में जुटी हुई है। हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जाता है। 24 दिसंबर की शाम से इस त्योहार का जश्न शुरू होता है और 25 दिसंबर की रातभर चलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्रिसमस क्यों मनाया जाता है। ईसाई समुदाय के लोक इसे यीशू मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाता है, लेकिन साक्ष्य बताते हैं कि इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ ही नहीं था। शुरुआत में ईसाई समुदाय यीशू यानि ईसा मसीह के जन्मदिन को एक त्योहार के रूप में नहीं
पौराणिक कथा
यूरोप में गैर ईसाई समुदाय के लोग सूर्य के उत्तरायण के मौके पर एक बड़ा त्योहार मनाते थे। इनमें प्रमुख था 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण होने का त्योहार। इस तारीख़ से दिन का लंबा होना शुरू होने की वजह से, इसे सूर्य देवता के पुनर्जन्म का दिन माना जाता था। कहा जाता है कि इसी वजह से ईसाई समुदाय के लोगों ने इस दिन को ईशू के जन्मदिन के त्योहार क्रिसमस के तौर पर चुना। क्रिसमस से पहले ईस्टर ईसाई समुदाय के लोगों का प्रमुख त्योहार था।
क्रिसमस की खास परंपराएं
क्रिसमस की सबसे खास बात इसकी परपंराएं हैं। इनमें एक संत निकोलस हैं, जिनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन यीशू को समर्पित कर दिया। उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था। यही वजह है कि वो यीशू के जन्मदिन के मौके पर रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे। इस वजह से बच्चे आज भी अपने सांता का इंतजार करते हैं।
क्रिसमस ट्री का है महत्व
दूसरी प्रमुख परंपरा क्रिसमस ट्री से जुड़ी है। यीशू के जन्म के मौके पर एक फर के पेड़ को सजाया गया था, जिसे बाद में क्रिसमस ट्री कहा जाने लगा। इसके अलावा एक और परंपरा कार्ड देने की है। इस दिन लोग एक कार्ड के जरिए अपने दोस्तों व परिवारजनों को शुभकामनाएं देते हैं। पहला क्रिसमस कार्ड 1842 में विलियम एंगले ने भेजा था।